अपने बच्चे की वाचा परखिऐ।
हम रोते हैं, हम बात करते हैं एवं हम सुनते हैं, शब्दों और आवाजों के ससार को। ये कार्य इतने साधारण नहीं हैं जितने कि लगते हैं एक बच्चा बहुत कुछ सुनता हैं, इससे पहले की वह कुछ बोल पाता हैं। हमारी बोलने की क्षमता हमारे इस सुदर ससार के बारें में जिसमें हम रहते हैं, जानने में बहुत मदद करती हैं।
यह हमे एक व्यक्ति की भावनाओं एवं विचारों को समझने में मदद करता हैं और हमे वह कहने में मदद करता हैं, जो हम कहना चाहते है। यह कठिन कार्य बहुतो द्वारा नहीं पूरा हो पाता है। हमे वाचा तथा भाषा गत समस्याओं को जानना चाहिए।
क्या आप या आपका बच्चा इनमें से एक भी समस्या से ग्रसित ह?
- आपके बच्चे की उम्र 18 महीने हो गई हैं और फिर भी वह कुछ बोलता नहीं या आपको ऐसा लगता हैं कि अपने हम उम्र बच्चों की उम्र के हिसा से नहीं बोलता।
- ठीक से नहीं बोलता / कुछ प्रकार की आवाज नहीं निकाल पाता जिससे कि लोगों को उसकी बोली समझने में कठिनाई होती हैं।
- अपनी आवाज कोलेकर कोई समस्या हैं
अ) यौवनारंभ के बाद पुरुष का स्त्री जैसी आवाज में बोलना
ब) कर्कश आवाज में बोलना - बोलते समय डिसफ्लुअन्सिज जैसे कि उच्चारित आवाजों को बार-बार दोहराना, किसी एक शब्द पर रुक जाना या बात करने का भय। स्ट्रोक या सिर में गंभीर चोट लगने के बाद बोलने में कठिनाई होना या बोलना भूल जाना।
- वर्तन समस्या जैसे: आदेश का पालन न करना, किसी एक कार्य में लंबे समय तक ध्यान न
रखपाना, अपने हम उम्र बच्चों की बातों से असंगत बाते एं व्यवहार करना।
यदि ऐसा हो तो ……………
तो वाचा भाषा विज्ञानी की तुरंत सलाह लीजिए।
बच्चों में वाचा एवं भाषा दोष
- वाचा एवं भाषा का विकास देर से होना :
जब वाचा एवं भाषा बच्चे की उम्र के विकास से असंगत होती हैं, अगर विकास में कोई देरी हो तो निम्न जाँचसूची का उपयोग कीजिए:-
जाँच सूची
तीन महीने तक:
- रोनेवाली एवं नहीं रोनेवाली आवाज निकालना
- ‘कूऊ ‘ की आवाज निकालना एवं हँसना
छह महीने तक:
- खिलौने के बारें में अभिव्यक्ति करता हैं।
- जब अकेले होता हैं या जब उससे बोला जाता हैं तो स्वर एवं व्यंजन की आवाजों को दोहराता हैं (बबलाना)।
नौ महीने तक:
- आवाज की नकल करने की कोशिश करता हैं।
- वयस्कों के बाद अन्य के साथ घुल-मिल कर बातचीत करने की कोशिश करता हैं।
एक साल से डेढ साल तक:
- दो शब्दों वाले वाक्यों का अर्थपूर्ण उपयोग करता हैं।
- चित्रों को पहचानता हैं।
- वयस्कों के साथ चित्रों को देखता हैं।
एक साल / डेढ साल से दो साल तक:
- वयस्कों की कृती एवं शब्दों का अनुकरण करता हैं।
- शब्दों को या आदेंशों को उचित कृति से प्रतिक्रिया देंना। जैसे कि रुको, नीचे बैठो, वह क्या हैं?
- किसी चीज के लिए कुछ सिर्फ शब्द और हावभावों का उपयोग करता हैं।
दो से तीन साल तक:
- दो से पाँच शब्दों वाले वाक्यों में बात करता हैं।
- साधारण प्रश्नों के उत्तर देता हैं।
निम्न बातों के परिणाम से देरी हो सकती है।
- श्रवण दोष ( Hearing loss ) : सौम्य, तीव्र, अति तीव्र श्रवण दोष ।
- मंदबुध्दित्व (Mental retardation) : मानसिक रूप से पिछडे बच्चे सीखने में पीछे होते हैं एवं याददाश्त एवं सीखने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह उनकी वाचा एव भाषा को के विकास को प्रभावित करता हैं।
- हायपर ऍक्टिवीटी /ऑटिजम /अटेन्शन डिंफिशिट : इनकी वजह से उम्र के हिंसाब से वाचा एवं भाषा के विकास में कठिनाई हो सकती हैं।
- भाषा एवं वाचा की प्रेरणा का पर्याप्त न होना : जब माता-पिता बच्चों से बातें करते हैं, उनसे बच्चों की वाचा एवं भाषा का विकास होता हैं। हालांकि, वाचा एवं भाषा के विभिन्न पहलुओं से पहचान न होने के कारण बच्चों को सीखाने में कठिनाई महसूस होती हैं।
- दिमागी हानि : दिमाग में कुछ विशेष केन्द्र होते हैं जो दूसरों की बोली सीखने एवं भाषा को समझने में मदद करते हैं। दिमाग एवं भाष को समझने में मदद करते हैं। दिमाग के इन हिस्सों को नुकसान बोली एवं भाषा के विकास में देरी पैदा करता हैं।
- पढने-लिखने एवं गणित में कठिनाई होना।
कुछ बच्चे जब स्कूली शिक्षा शुरू करते हैं, तो उन्हें कठिनाई आती है जैसे कि:
- मौखिक रूप से अभिव्यक्त करने में कठिनाई
- लिखित रूप से अभिव्यक्त करने में कठिनाई
- दूसरों के वक्तव्य को समझने में कठिनाई
- जोर से पढने में कठिनाई
- गणित में कठिनाई
- व्याकरण की खूब सारी गलतियाँ
- नए वातावरण के साथ सामजस्य मे कठिनाई
- दाएँ एवं बाएँ की पहचान में कठिनाई
- सामान्य भद्दापन, समन्वय का अभाव, कमजोर, बैलेन्स या बहुत बार गिरने की आदत
गलत रूप से शब्द उच्चारण:
- वयस्कों द्वारा गलत उदाहरण प्रस्तुत करना या सीखना। उदाहरण के लिए एक बच्चा ‘कैट ‘ को ‘टैट’ या ‘सन ‘ को ‘ टन ‘ कहता हैं।
- तालु एवं जबडे में छेद होना : यह शल्य-क्रिया द्वारा ठीक किया जा सकता हैं। हालांकि, नासाग्र भाग में हवा के दबाव को ठीक न रख पाने की वजह से गलत उच्चरण पैदा होता हैं।
- कमजोरी, समन्वय का अभाव एवं वाक् स्नायुओं का लकवा : गलत उच्चारण के अलावा, बच्चा निगलने एवं चबाने में भी कठिनाई महसूस कर कता हैं।
- सौम्य, तीव्र, अतितीव्र श्रवण हानि
स्वर दोष:
कर्कश आवाज : बच्चे बहुत चुस्त और उत्साही होते हैं। वे बोलना, चिल्लाना और चीखते हैं। इससे कारण उनकी आवाज कर्कश हो सकती हैं।
हकलाना:
वाचा प्रवाह में खंड /अंतराल वाचा का प्रभाव को कम करता हैं। वाचा प्रवाह में सौम्य हिचकिचाहट से तीव्र भंग /अंतराल तक की हकलाट हो सकती हैं। यह समस्या बचपन में शुरू होकर बडें होने तक शुरू रह सकती हैं। इसका परिणाम उनके व्यक्तिगत एव सामाजिक विकास /वद्घि पर होता हैं। उन्हें रोजगार मिलने में भी समस्या हो सकती हैं।
वाणी एवं भाषा उपचार
वाणी एवं भाषा विकृतियों का प्रबन्धन एवं उपचार भाषा विज्ञानियों द्वारा किया जाता हैं। दूसरी टीम आडियोलाजिस्ट, सायकोलाजिस्ट, इ.न.टी., पेडिऍट्रिशियन, न्यूरोलाजिस्ट एवं विशेष शिक्षकों की होती हैं। व्यक्ति जिसे वाचा एवं भाषा में दोष हैं का उपचार वाचा-भाषा थेरैपीद्वारा किया जा सकता हैं। वाचा-भाषा थेरैपी लंबी अवधि की प्रक्रिया हैं। उसका तत्काल हल नहीं हैं। इसे निरतर अभ्यास एवं आप और आपके थेरैपिस्ट का काम में समन्वय आवश्यक हैं। प्रबंधन प्रक्रिया में परिवार सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। परिवार के सदस्यों की भी इ प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं।
किसी भी प्रकार की वाचा एवं भाषा के विकृति के लिए, कृपया निकटतम साधारण / निजी अस्पताल के आडियोलाजिस्ट /भाषा थेरैपिस्ट से संपर्क करें।
सम्प्रेषण विकृति के लिए खतरें के कारक
सम्प्रेषण विकृति के लिए खतरें के कारकों की जानकारी रखना काफी सहायक हो सकता है:
- गर्भावस्था के बाद होने वाले संक्रमण
– रूबेला, हर्पिज - जन्म पर वजन
– वजन का 1500 ग्राम से कम होना। - दवाइयाँ (स्ट्रेप्टोमायसिन आदि)
– अगर दस दिन से ज्यादा इन दवाइयों का सेवन किया जाए। - चूसने या दूध पिलाने में असामान्यत: समय से पहले जन्म लेनेवाले बच्चों में अन्य समस्याएँ होती हैं, तालु या जबडे में विदर होना, चसने, निगलने एवं चबाने में कठिनाई के अलावा वाचा एवं भाषा के विकास में कठिनाई पैदा कर सकता हैं।
- जन्मजात दोष :
– क्लेफ्ट लिप / प्लेट; सबमुकोस क्लेफ्ट; बिफिड या युहुल का गायब होना, पिना की अपसामान्यतः हाइड्रो से फाजस, प्रोवेन क्रोमोसोमज सिड्रोम। - ब्लड ट्रान्सफ्यूजन /एक्सचेंज
– जिसके फलस्वरूप तीव्र पीलिया हो सकता हैं। - श्रवण दोष संबंधी परिवारिक पाश्र्वर्वभूमि परिवार में श्रवण दोष
- वाचा समस्याएँ या अध्ययन अधिगत संबंधी परिवारिक पार्श्र्वभूमी यदि बच्चे का नजदिकी परिवार या सगे रिश्तेदार
- ध्यान रहें – पुनर्वसन प्रक्रिया को शीघ्र पहचान, त्वरित प्रबंधन एवं परिवार और समाज से सहृदय पूरक सहायता की आवश्यकता होती ।