श्रवण एवं भाषा के विकास क्रम

श्रवण एवं भाषा के विकास क्रम

सुनने एवं बोलने के व्यवहार का विकासक्रम एवं नवजात शिशुओं में भाषा का विकास जैसे-जैसे बच्चा शारीरिक एवं मानसिक रूप से बडा होता जाता हैं, आवाज के प्रति उसकी व्यवहारिक प्रतिक्रिया विकसित और ज्यादा कठिन हो जाती हैं। इन व्यवहारों का बच्चे की उम्र एवं बौद्घिक स्तर से सीधा संबंध हैं।

जन्म से तीन महींने तक

ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): अगर जोर से आवाज की जाए जैसे कि ताली या अलार्म की आवाज आदि, तो आपका शिशु नींद से जाग जाएगा या हिलना-डुलना शुरू कर देगा या जागना शुरू कर देंगा। जोर की आवाज सुनते ही, शिशु रोना शुरू कर देंगा एवं चौकना (startle) करना शुरू कर देगा।

 

बोली एवं भाषा का विकास: आपके बच्चे को कूइंग (cooing) में आनंद आता हैं (कूइंग आवाज निकालना) और ‘गर्गलिंग’ में आनंद आता हैं (गडगड की आवाज निकालना)

तीन महीने से छह महीने तक

ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): बच्चा अपनी माँ की आवाज को मुख्यत: पहचानने लगता हैं जैसे कि अगर बच्चा रो रहा हैं तो वह अपनी माँ की आवाज सुनकर चुप हो जाता हैं।

 

जब उसके साथ बोलते हैं तो बच्चा हँसता हैं, खेलते हुए रूक जाता हैं एवं आवाज सुनने की कोशिश करता हुआ मालूम पडता हैं, मुख्यत: जब कोई अच्छी ध्वनी निकाली जाए या कोई नयी आवाज निकाली जाए। उदाहरण के लिए नए खिलौने की आवाज।

बच्चे को बबलाने (babbling) में आनंद आता हैं जैसे कि आवाज के क्रम को दोहराता हैं (दा.. दा.. बा.. बा..)

 

वह अपनी माँ के आवाज का प्रत्युत्तर मधुर ध्वनि बनाकर देता हैं।

छह महीने से नौ महीने तक

ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): आपका बच्चा आवाज़ों की उद्‌गम दिशा में अपना सिर घुमा देगा और नए आवाजों को सुनने में उसकी रुचि लगातार बरकरार रहेगी।

वाक्‌ एवं भाषा का विकास: आपके बच्चे को विभिन्न प्रकार की आवाज निकालने में आनंद आएगा एवं उसका बबलाना (babbling) निरतर जारी रहेगा। वह दूसरों के आवाजों की नकल करने की कोशिश करेंगा।

 

वह अपनी भावनात्मक संतुष्टि या असंतुष्टि को अभिव्यक्त करने की कोशिश करेंगा। याने कि जब वह खुश होगा, उसकी आवाज हँसते हुए निकलेगी एवं जब वह दुखी होगा, उसकी आवाज रोते हुए निकलेगी।

नौ महीनों से अठारह महीनों तक

ऑडिटरी रिसपॉन्स (Auditory Response): आपका बच्चा आपकी ओर देखेगा, जब आप उसे बुलाएँगे।

 

वह ‘ना ‘ जैसे शब्दों को समझता हैं। वह सामान्य आदेशों का प्रत्युत्तर भी देंगा, जैसे कि अपना मुँह खोलो, अपनी आँखें बन्द करो आदि।

वाणी एवं भाषा का विकास: वह अपनी आवाज का उपयोग ध्यान आकर्षित करने के लिए करने लगता हैं। उसके द्वारा बोला गया पहला शब्द प्रायः इस अवधि में सुना जाता हैं। वह आपके द्वारा बोले गए कुछ शब्दों की नकल करने की कोशिश करेंगा।

 

अठारह महीने तक आपके बच्चे की शब्दावली (सार्थक शब्दों का उपयोग) क्रमश: बढती जाएगी।

अठारह महीने से ढाई साल तक

ऑडिटरी रिसपॉन्स ( Auditory Response ): ( Auditory Response ): आपका बच्चा आपके अनुरोधों का प्रत्युत्तर देंना सीख जाएगा जैसे कि ‘मुझे दो ‘ । वह आदेंशों का भी प्रत्युत्तर देंना सीख जाएगा जैसे कि ‘गेंद लाओ ‘ और वह उसे फेंकेगा, जब उसे फेंकने को कहा जाएगा।

 

वह वस्तुओं की ओर इशारा करेंगा जिन्हें नाम दिया गया हैं।

वह शब्दों को जोडकर वाक्य बनाना सीख जाएगा जैसे कि ‘पापा आओ ‘ वह कुछ जानवरों एवं फलों के नाम बतलाने लगेगा।

 

वह वस्तुओं को नाम दें सकेगा एवं उन्हें कम /ज्यादा /अच्छा कह कर उनका वर्णन कर सकेगा। याद रखें, कुछ बच्चों में श्रवण -विकलांगता दूसरी ओर खराबी के साथ हो सकती हैं जैसे कि मुँह की तालू में छेंदहोना, कान का नीचा होना, बाहरी कान का मौजूद न होना। कुछ बच्चे अपनी उम्र के हिंसाब से उत्तर देंने में असमर्थ होंगे, कुछ अन्य समस्याओं के कारण जैसे कि (विलम्बित मोटर माइलस्टोन)

आपको कब ख्याल रखना चाहिए कि आपके बच्चे को श्रवण की समस्या हैं?

अगर आपको ऐसा प्रतीत होता हैं कि बच्चा आवाज को प्रतिक्रिया देंने में विलम्ब करता हैं या प्रतिक्रिया नहीं देता हैं या वाणी विकास में विलम्ब होता हैं (जैसा कि ऊपर वर्णित किया गया हैं) आपका पहला काम चिकित्सीय सलाह लेना होना चाहिंए।

ध्यान रखें

श्रवणविकलांगता जन्मजात से होती हैं ऐसा जरुरी नहीं हैं। यह किसी भी उम्र में हो सकती हैं। दूसरी विकलांगताओं की तरह (दृष्टि/शारीरिक) श्रवणविकलांगता बाहर से दिखायी नहीं पडती। हम सलाह देते हैं कि आप सचेत रहे और अपने बच्चे की आवधिक जाँच कराते रहे।